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Writer's pictureJagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj

श्री राधा कृष्ण के श्रृंगार से सम्बन्धित जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनमोल उपदेश

श्रीराधा कृष्ण के श्रृंगार का विषय हो, तो यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। भगवान श्री कृष्ण के विरही साधक श्रीमान् जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने अपनी अनंत कृपा के अंश रूप में अनगिनत पदों को हमें दिए हैं, जिनसे हम भगवान श्री राधा कृष्ण के श्रृंगार, गुण, लीलाओं को समझने में सहायक हो सकते हैं।


ग्रंथों के माध्यम से श्री राधा कृष्ण के विभिन्न अंगों का निरूपण किया गया है, जिससे साधक उनके दिव्य चिन्मय श्री विग्रह की कल्पना करके उनके रूपध्यान में डूब सकता है। यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ ऐसे महत्वपूर्ण ग्रंथ:


1. प्रेम रस मदिरा: इस ग्रंथ में प्रेम रस के अद्वितीय रहस्यों का वर्णन है, जो श्रीराधा कृष्ण के प्रेम के अत्यंत मधुर संबंध को प्रकट करता है।

2. राधा गोविंद गीत: इस ग्रंथ में भगवान की प्रेम लीलाओं का अद्वितीय वर्णन है, जो साधक को भगवान के साथ अद्वितीय संबंध में प्रवेश कराता है।

3. श्यामा श्याम गीत: इस ग्रंथ में श्रीराधा कृष्ण के श्रृंगार के सुंदर विविध पहलुओं का वर्णन है, जो साधक को उनकी मनोहारी छवि को समझने में सहायक होता है।

4. ब्रजरस माधुरी: इस ग्रंथ में ब्रज रस की माधुर्य पर बात की गई है, जो साधक को भगवान के साथ स्वीकृति के रस का अनुभव कराता है।

5. युगल माधुरी: इस ग्रंथ में श्रीराधा कृष्ण के युगल सौंदर्य का विवरण है, जो साधक को उनके साथ दिव्य विलास का अनुभव कराता है।

6. युगल शतक: इस ग्रंथ में भगवान के साथ साधक के सांगोपांग विलास का अनुभव है, जो उनके साथ प्रेम का महत्वपूर्ण पहलु है।

7. युगल रस: इस ग्रंथ में भगवान के साथ साधक के रस की आत्मा के संयोग का अनुभव है, जो उनके साथ अद्वितीय सामर्थ्य का अनुभव कराता है।

8. श्रीराधा त्रयोदशी: इस ग्रंथ में भगवान के साथ साधक के प्रेम की अनन्तता का वर्णन है, जो साधक को भगवान के प्रति अनंत प्रेम का अनुभव कराता है।

9. श्रीकृष्ण द्वादशी: इस ग्रंथ में भगवान के साथ साधक के संबंध की अनंतता का वर्णन है, जो साधक को भगवान के साथ स्थिर संबंध का अनुभव कराता है।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के ग्रंथों का अध्ययन करके साधक अपने रूपध्यान को परिपूर्ण कर सकता है और श्री राधा कृष्ण के साथ अद्वितीय संबंध का अनुभव कर सकता है। यहाँ भगवान के अनंत रूप के विविध आयामों का वर्णन है, जो साधक को उनके रूपध्यान में सहायक होता है। ग्रंथों का अध्ययन करते समय साधक को अपनी रुचि और संस्कार के अनुसार ग्रंथ का चयन करना चाहिए, ताकि वह उसके माध्यम से भगवान के रूप का स्मरण कर सके और अद्वितीय प्रेम का अनुभव कर सके।


ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से साधक को अपने मन की शांति, आनंद और उत्तम चिंतन की प्राप्ति होती है। इसलिए, यह ग्रंथ साधना में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन ग्रंथों को पढ़ने और उनके अध्ययन से साधक को भगवान के रूप का स्पष्ट और स्थायी स्मरण होता है।


इसलिए, जब आप अपनी साधना को अधिक उत्तम बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह ग्रंथों का अध्ययन आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। इन ग्रंथों के माध्यम से आप भगवान श्री राधा कृष्ण के रूपध्यान में डूब सकते हैं और उनके साथ अद्वितीय प्रेम का अनुभव कर सकते हैं। इस प्रकार, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के ग्रंथों का अध्ययन करके साधक अपने रूपध्यान को साधना में सहायक बना सकता है।

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