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Writer's pictureJagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj

जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज और जगद्गुरु कृपालु परिषत्: सनातन धर्म के प्रवक्ता और सेवाक



सनातन धर्म को प्रतिष्ठापित करके, जीवों के भौतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिये विश्व के इतिहास में पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज (सन् 1922 - -2013) द्वारा स्थापित जगद्गुरु श्री कृपालु परिषत् एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर लाभकारी, आध्यात्मिक, शैक्षणिक धर्मार्थ संस्था है, जो बिना किसी जाति, वर्ण भेदभाव के जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रतिपादित वैदिक सिद्धान्तों का पालन करते हुये, निरन्तर अनेक प्रकार के आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित करने के साथ साथ निष्काम भाव से शैक्षिक एवं सामाजिक समाज के अभावग्रस्त दीन दुःखी असहाय लोगों की सहायतार्थ अनेक प्रकार की जनकल्याणकारी योजनायें चला रही है।


वर्तमान में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों सुपुत्रियों (जगद्गुरु कृपालु परिषत् अध्यक्षाओं) डॉ. सुश्री विशाखा त्रिपाठी, डॉ. सुश्री श्यामा त्रिपाठी, डॉ. सुश्री कृष्णा त्रिपाठी के नेतृत्व में ये सभी योजनायें आश्चर्यजनक रूप से दिन प्रतिदिन विशाल रूप लेती जा रही है।


शुद्ध भक्ति तथा प्रेम की अवतार स्वरूपा, ये सभी साधकों को हरि-गुरु सेवा में पूर्ण रूपेण समर्पित होने के लिए प्रेरित करतीं हैं। शक्ति एवं प्रधानता के स्तम्भ के रूप में, ये सदा महत्त्वपूर्ण योजनायें बनाने में तथा जगद्गुरु कृपालु परिषत् की सभी परियोजनाओं की उन्नति हेतु व्यस्त रहतीं हैं। उनकी उपस्थिति मात्र से ही सभी साधक उत्साहपूर्वक अपना सेवा कार्य करने में समर्थ हो जाते हैं। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की यादों का जो अमूल्य खजाना उन्होंने विभिन्न इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में संरक्षित किया है, उसके लिए सम्पूर्ण विश्व सदा उनका ऋणी रहेगा।


जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज की आध्यात्मिक विद्या: एक प्रख्यात विद्वान के रूप में, ये जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्व दर्शन का गूढ़ ज्ञान रखते हुए जगद्गुरु कृपालु परिषत् से सम्बंधित सभी साधकों और प्रचारकों की आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान करतीं हैं। राधा गोविन्द प्रचार सामग्री द्वारा किये जा रहे जगद्गुरु कृपालु परिषत् के सभी प्रकाशन सम्बन्धी कार्यों की देखरेख करते हुए, ये एकमात्र प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के दिव्य सन्देश व तत्वज्ञान का प्रचार सम्पूर्ण विश्व में करने के लिए सभी प्रचारकों का मार्गदर्शन करतीं हैं। ये भक्ति, अनुशासन और कठिन परिश्रम का प्रतीक हैं।


जगद्गुरु कृपालु परिषत् और जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज के संबंध: यथार्थ उपासना और भक्ति की दृष्टांत स्वरूपा, ये उन जीवन मार्गों को प्रस्तुत करतीं हैं जिन्हें एक साधक को अपनाना चाहिये। अलंकरण की कला में पारंगत, ये सभी जगद्गुरु कृपालु परिषत् मंदिरों में स्थापित विग्रहों के नये वस्त्र एवं आभूषण तैयार करवातीं हैं। बालकों के समान भोलापन, ऊर्जा व उत्साह के साथ ये सभी साधकों में आशा, उत्साह और प्रेम का संचार करतीं हैं तथा जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के सिद्धान्तानुसार जीवन शैली को अपनाने तथा उसके अनुसार जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देती हैं।


जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा स्थापित जगद्गुरु श्री कृपालु परिषत् ने सनातन धर्म, भक्ति, और सेवा के माध्यम से जीवों के भौतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए अद्वितीय प्रयास किया है। उनके संदेश शृंगारी भक्ति, सामर्थ्य, और प्रेम की भावना से भरे हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को एक सशक्त, नैतिक, और आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इस प्रकार, ये संस्थाएं जीवन को सुखमय बनाने के लिए सदैव संघर्षरत हैं और जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के आदर्शों को जीवंत रखने का कार्य कर रही हैं।


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