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जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन: नारी का हर प्रगति में बराबर का योगदान प्रत्येक बालिका मायने रखती है…

  • Writer: Kripalu Ji Maharaj Fan Club
    Kripalu Ji Maharaj Fan Club
  • Aug 10, 2023
  • 3 min read

यह सर्वविदित है कि सम्पूर्ण विश्व में अपने सेवा कार्यों द्वारा परिवार व समाज के विकास में नारी की एक अहं भूमिका है। संसार में जो कुछ भी अस्तित्व रखता है, उसके आधार में नारी है। इन्हीं विचारों को ध्यान में रखते हुये जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा नारी शिक्षा व नारी उत्थान का संकल्प लिया गया और उन्होंने स्थापना की जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन की जिसके अन्तर्गत तीन शिक्षण संस्थायें कृपालु बालिका प्राइमरी स्कूल, कृपालु बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज एवं कृपालु महिला महाविद्यालय, जहाँ ग्रामीण परिवेश की निर्धन एवं शैक्षिक सुविधाओं से वंचित बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है। अब तक इस शिक्षण संस्थान से 55,000 से अधिक बालिकाओं को शिक्षित किया जा चुका है, जिनमें से अनेक नौकरी कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में सहयोग दे रही हैं, इनमें से कई भारतवर्ष में प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में यहाँ 4000 से भी अधिक बालिकायें शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, उन्हें पूर्णरूपेण शिक्षित करने के साथ ही जीवन से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिये भी प्रशिक्षित किया जाता है। वर्ष 2016 में बालिकाओं को आत्म-रक्षा का प्रशिक्षण दिया गया, जो विश्व स्तरीय कार्यक्रम था और विश्व में प्रथम विशाल आत्म-रक्षा कार्यक्रम के रूप में "लिमका बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में दर्ज किया गया।

हमने अनेक छात्राओं से भेंट की, जिन्होंने अपने जीवन की परिस्थितियों से हमें अवगत कराया, इनमें से वर्षा नामक बालिका की दयनीय पारिवारिक परिस्थितियाँ देखकर लगा कि न जाने ऐसी कितनी ही बालिकाओं के जीवन और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुये जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने समाज व राष्ट्र को ये निःशुल्क शिक्षा का उपहार दिया है।


वर्षा जिसकी आयु 6 वर्ष है, कृपालु बालिका प्राइमरी स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही थी, जो अपनी माँ एवं भाई के साथ रहती है। जब हम उनसे मिले थे तो वर्षा के पिता की हालत अत्यन्त गम्भीर थी, उसकी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है, जिससे वे कोई अच्छी नौकरी कर सके, इसलिये सिलाई करने के साथ-साथ अनेक प्रकार के कार्य कर घर का किराया व राशन-पानी की व्यवस्था करती थी। दुर्भाग्यवश रीता के पति की मृत्यु के बाद से सम्पूर्ण परिवार अत्यन्त संघर्षमय जीवन व्यतीत कर रहा है, लेकिन ऐसे में जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन ने रीता के मन में आशा का संचार किया, जहाँ उसकी बेटी उत्तम शिक्षा प्राप्त कर रही थी।

रीता नहीं चाहती कि जिन परिस्थितयों से आज उसे गुज़रना पड़ रहा है, वह वर्षा के साथ हो, इसलिये वे कठिन परिश्रम करती थी। वह हृदय से जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज व जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन को धन्यवाद देती है, जिनके कारण उसकी बेटी वर्षा को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त हुई। रीता कहती है कि जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थानों में बालिकाओं के लिये निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था हम जैसे असहाय लोगों के लिये जीवन का वरदान है, अन्यथा हम तो अपनी बेटियों को ऐसी उच्च स्तरीय शिक्षा दिलाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। हम वर्षा व उसके परिवार के मंगलमय भविष्य की कामना करते हैं। निष्कर्ष: जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के मार्गदर्शन में नारी शिक्षा और समृद्धि के प्रति उनका अद्वितीय संकल्प प्रेरणास्त्रोत बना है। उनके द्वारा स्थापित शिक्षा संस्थानों ने ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करके समाज में परिवर्तन का माध्यम बनाया है। इन संस्थानों के माध्यम से हजारों बालिकाएं शिक्षित होकर समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।


जगद्गुरु श्री कृपालु परिषत् एजुकेशन के माध्यम से प्रदान की जाने वाली निःशुल्क शिक्षा, उच्च शिक्षा की सीमाओं को पार करने में सहायक सिद्ध हो रही है। इन संस्थानों से निकली बेटियाँ न केवल शिक्षान्तरण प्राप्त कर रही हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की स्थापना में भी अपना योगदान दे रही हैं।


वर्षा जैसी बेटियाँ, जिनके परिवार में आर्थिक संकट और सामाजिक समस्याएँ होती हैं, अपनी ऊर्जा और प्रतिबद्धता से निश्चित रूप से समृद्धि की ओर प्रगति कर रही हैं। उनका सफलता प्राप्त करने का संघर्ष और संघर्ष के बावजूद प्रेरणास्त्रोत बन रहा है और इससे आत्म-विश्वास भी बढ़ता जा रहा है।


जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के संदेशों के प्रेरणास्त्रोत में, नारी के समृद्धि में उनके अद्वितीय योगदान का स्वागत किया जाना चाहिए। उनके संदेश और सेवा कार्यों के माध्यम से हम सभी को नारी के महत्व की प्राधान्यता समझने में मदद मिलती है और हमें उनकी सशक्तिकरण और समृद्धि में भागीदारी का संकल्प लेने की प्रेरणा मिलती है। नारी का समृद्धि में बराबर का योगदान अपनाने से हम समृद्धि, सामाजिक समरसता, और सामूहिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा सकते हैं।

 
 
 

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